नेता की परिभाषा ( हास्य व्यंग काव्य)
कुर्सी को देख जिसकी ,
चमकती हो आंखें ।
और रुपयों की महक से,
भ्रमित हो जाए नाक ।
सत्ता के स्वाद से जिसके ,
लपलपाती हो जुबान ।
और विदेशी कमीशन पाकर ,
फिसल जाय ईमान ।
सूरत है जिसकी भोली -भाली ,
मगर दिल में कपट अपार ।
सफेद कपड़ों की तहों में ,
जो पाले काला संसार ।
इंसानों के जीवन का करे ,
दौलत से सौदा ।
वह है कुशल विक्रेता ।
वतन पर शासन करने वाला ,
वतन को ही बेचने वाला ,
कहा जाता है नेता।