नेताजी सुभाष चंद्र बोस
(23 जनवरी जन्मदिन पर स्मरण )
एक सव्यसाची फिर आया
48 वर्ष सुभाष बनकर जिया
जीवट की नई कसौटी स्थापित कर
रहस्यमयी यात्रा पर चल दिया
ज़ल्दी में था भारत माता का लाल
बिलखता दिल हमारा भावों से भर दिया।
“तुम मुझे ख़ून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा”
“दिल्ली चलो ”
“जय हिन्द”
नारे दिए सुभाष ने
जाग उठी थी तरुणाई
उभारे बलिदानी रंग प्रभाष ने।
भारतीयों के सरताज़
युवा ह्रदय -सम्राट
सुभाष बेचैन थे
देखकर अंग्रेज़ों का दमन सहने की परिपाटी
बो दिए वो बीज
उगलने लगी क्रांति-क्रांति देश की माटी।
आज़ाद हिन्द फ़ौज बनी
अंग्रेज़ों से जमकर ठनी
1943 से 1945 तक
देश की पहली आज़ाद हिन्द सरकार बनी
छूटा साथ जापान का
मिशन की ताक़त छिनी
18 अगस्त 1945 को
ताइपे विमान दुर्घटना हर भारतवासी का दुःख-दर्द बनी…. .
नेताजी की मृत्यु का रहस्य
आज भी एक अबूझ पहेली है
गोपनीय फाइलें खुल रही हैं
बता दे राज़ सारे क्या कोई फाइल अकेली है… ?
दुनिया विश्वास न कर सकी
सुभाष के परलोक जाने का
सरकारें करती रहीं जासूसी
भय था जिन्हें सुभाष के प्रकट हो जाने का
सर्वकालिक व्यक्तित्व दमकता ध्रुव -सत्य है
कौन बनेगा अब सुभाष
पूछता खड़ा सामने कटु -सत्य है
हमारे दिलों पर राज़ करते हैं सुभाष
समय की प्रेरणा बनकर
भाव-विह्वल है हमारा दिल
तुम्हें याद करके आँखों का दरिया बह चला है आँसू बनकर।
स्वतंत्र होकर जीने का अर्थ
सिखा गए सुभाष
आज़ादी को कलेज़े से लगाना
सिखा गए सुभाष
स्वतंत्रता का मर्म वह क्या जाने
जो स्वतंत्र वातावरण में खेला है
उस पीढ़ी से पूछो
जिसने पराधीनता का दर्द झेला है।
जय हिन्द !!!
– रवीन्द्र सिंह यादव