*नेताजी के सिर्फ समय की, कीमत कुछ होती है (हास्य-व्यंग्य गीत
नेताजी के सिर्फ समय की, कीमत कुछ होती है (हास्य-व्यंग्य गीत)
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नेताजी के सिर्फ समय की, कीमत कुछ होती है
1
मूरख जनता दो घंटे पहले से भीड़ लगाती
कभी धूप में-बरसातों में दौड़ी-भागी आती
ऊॅंचे-ऊॅंचे झंडे बैनर, कंधों पर ढोती है
2
ठीक समय पर जो आ जाता, नेता नहीं कहाता
जितनी देर लगाता आने में कद ऊॅंचा पाता
ऊबी जनता इंतजार में, कुर्सी पर सोती है
3
ठीक समय पर श्रोता आकर, अपने कान पकड़ता
ठीक समय पर क्यों आए?- आयोजक उससे लड़ता
ठीक समय पर आने वाली, जनता बस रोती है
नेताजी के सिर्फ समय की, कीमत कुछ होती है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451