‘नेताजी का पारितोष है सस्ता’
1.
गैससिलेंडर हुआ और महँगा
महँगा पेट्रोल डीज़ल भी महँगा
कपडे़ खाद्य तेल सब महँगा
साड़ी – बिंदिया चुन्नी – लहँगा
नेताजी का पारितोष है सस्ता
आका छोड़ बाकी सब महँगा
शिक्षण सस्ता मज़दूर भी सस्ता
आम आदमी की जान भी सस्ती
भले ही उजड़ जाए सब बस्ती
हम तो करेंगे ‘मयंक’ ऐसी ही मस्ती
2.
चलो आज बाहर नहीं जाना
व्यर्थ समय अब नहीं गँवाना
बच्चों को खाना है खिलाना
बंद करो अब आना जाना
मंत्रीजी का आया बहाना
आत्मनिर्भर है सबको बनाना|
सबसे बड़ी मुसीबत कोरोना,
बार बार हाथों को धोना
‘मयंक’ बाहर निकलो तो
चेहरे पर मास्क अवश्य लगाना|
✍ के.आर.परमाल ‘मयंक’