Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2017 · 3 min read

नेताजी का पर्यावरण दिवस

आज पर्यावरण दिवस है………… ये पर्यावरण दिवस क्या होता है भैया?………… अरे कुछ नहीं, बस साल में एक दिन लोग ये दिखावा करते हैं कि हम भी पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूक हैं,आज वही दिन है……… तो आज हमारे गली के छुट-भैया नेताजी को वृक्षारोपण करने जाना हैं……… या यूँ कहूँ कि वृक्षारोपण करते हुए फोटो खिंचवाने जाना है तो ज्यादा ठीक रहेगा…

सुबह-सुबह उठ गए नेताजी और रोज की तरह अपने म्यूजिक सिस्टम में लगा दिया फुल साउंड में भक्ति गीत……… अब लोगों को भी तो पता चलना चाहिए कि हमारे नेता जी ने नया महंगा म्यूजिक सिस्टम ख़रीदा है……… लोग परेशान हो उनकी बला से……… बेसिन का नल खोला और ब्रश करने लगे…… यूँ ही भक्ति रस में डूबकर ब्रश करते रहे और साथ में नल से बहता पानी बैकग्राउंड म्यूजिक देता रहा……… 1 घंटे तक शावर के नीचे नहाकर जब आत्मा तृप्त हुई तो पहुँच गए ड्रेसिंग रूम में…… सारी लाइटें जला ली… अरे भाई आज फंक्शन में जो जाना है, अच्छे से तैयार तो होना पड़ेगा ना… 1/2 घंटे में क्रीम-पाउडर पोतकर, सफेद धुला, कलफ लगा कुर्ता डालकर तैयार हुए और निकल पड़े घर से वृक्षारोपण के लिए… और पीछे छोड़ आये सारी लाइटें जलती हुई, घर की सुरक्षा करने……

गाड़ी अभी निकाल ही रहे थे कि एक चमचे ने कहा “भैयाजी मेरी गाड़ी बाहर है हम भी साथ ही चलते है”…… पर नेताजी को वहाँ अपना रौब भी तो दिखाना था…… कहा “नहीं, हम सब अलग-अलग अपनी-अपनी गाड़ियों से चलेंगे”……… रास्ते में कालू हलवाई की दुकान देखकर उन्हें नाश्ते की याद आ गई, भूख जो लग आई थी…… भूख से बिलबिलाते, गाड़ी चालू रखकर ही उतर पड़े जलेबी-समोसे खाने…… अभी ऑर्डर दे ही रहे थे कि पीछे से एक चमचे ने आवाज लगाई “भैयाजी, वृक्षारोपण के लिए देर हो रही है”…… समय की नज़ाकत को देखकर उन्होंने नाश्ता पैक करवाना उचित समझा… हलवाई को कागज में समोसे बांधते देखते ही लगे नेताजी चिल्लाने “हम क्या तुम्हें सड़क छाप दिखते हैं जो कागज की पूड़ियों में नाश्ता ले जायेंगे…… पॉलीथीन की थैलियों में दो”… हलवाई बड़ी मुश्किल से कहीं से एक आध पॉलीथीन की थैली ढूंढ़ लाया और नेताजी को रफा-दफा किया……

नाश्ता लेकर पहले से चालू गाड़ी में बैठ गए नेताजी और निकल पड़ा उनका काफिला सीधा वृक्षारोपण करने…… रास्ते में नाश्ता खाया और डकार लेते हुए फ़ेंक दी कागज, पॉलीथीन की थैली और खाली बोतल सड़क पर ये कहते हुए कि…… “भाई, अगर हम शहर गन्दा नहीं करेंगे तो नगर पालिका तो बेकार ही हो जाएगी ना”………

जैसे-तैसे स्थल पर पहुँचा उनका काफिला……… देखा वहाँ मुश्किल से 5-6 लोग कुछ मरियल से पौधों के साथ खड़े थे,जो चाय नाश्ते के लालच में पकड़-पकड़ लाये गए थे… अब भैया इतनी भरी गर्मी में आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं…… 1-2 कैमरा लिए पत्रकार देखकर उनकी आँखों में चमक आ गई…… पान की गिलौरी मुंह में डालकर गाड़ी से उतरे नेताजी वृक्षारोपण करने…… पहले मंच पर भाषण देना था, जिसमें नेताजी माहिर थे…… भाषण बड़ा ही सधा हुआ था…… “हमें पानी-बिजली-ईंधन व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए…… हमें अपना शहर साफ़ रखना चाहिए…… वायु-जल-ध्वनि प्रदुषण रोकना चाहिए……… पॉलीथीन की थैली उपयोग में नहीं लानी चाहिए”…… बीच-बीच में पान की पीक मार-मार कर नेता जी ने पीछे का सफ़ेद पर्दा पूरा का पूरा लाल कर दिया…… कुल मिलाकर भाषण प्रभावशील रहा, रात में दसों बार रट्टा जो मारकर आये थे……

भाषण के बाद अब आई वृक्षारोपण की बारी……… सबसे पहले नेता जी ने पौधे को हाथ में लेकर गड्डे में रखा और कुछ मिटटी डालते हुए 8-10 अलग-अलग ऐंगल से फोटो खिंचवा ली, भैया फेसबुक, whatsapp भी तो अपडेट करना होता है…… पीछे-पीछे सारे चमचों ने भी उसी पौधे को हाथ लगाकर फोटो खिंचवा ली… और पत्रकारों के जाते ही छोड़ दिया उस मरियल पौधे को अपने हाल पर और निकल पड़ा काफिला अगली जगह वृक्षारोपण करने……

लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
बैतूल (म.प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 834 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भइया
भइया
गौरव बाबा
*वही एक सब पर मोबाइल, सबको समय बताता है (हिंदी गजल)*
*वही एक सब पर मोबाइल, सबको समय बताता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
VINOD CHAUHAN
किए जा सितमगर सितम मगर....
किए जा सितमगर सितम मगर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
परिवार के बीच तारों सा टूट रहा हूं मैं।
परिवार के बीच तारों सा टूट रहा हूं मैं।
राज वीर शर्मा
जहाँ केवल जीवन है वहाँ आसक्ति है, जहाँ जागरूकता है वहाँ प्रे
जहाँ केवल जीवन है वहाँ आसक्ति है, जहाँ जागरूकता है वहाँ प्रे
Ravikesh Jha
..
..
*प्रणय*
मोबाइल
मोबाइल
Dr Archana Gupta
चुप रहने की घुटन
चुप रहने की घुटन
Surinder blackpen
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
कोई शिकायत आपको हमसे अब होगी नहीं
कोई शिकायत आपको हमसे अब होगी नहीं
gurudeenverma198
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
टिप्पणी
टिप्पणी
Adha Deshwal
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ଆମ ଘରର ଅଗଣା
ଆମ ଘରର ଅଗଣା
Bidyadhar Mantry
कपितय देवतुल्य महामहीम  लोगो ने 'जाहिल'  मुझे नाम दे रखा है।
कपितय देवतुल्य महामहीम लोगो ने 'जाहिल' मुझे नाम दे रखा है।
Ashwini sharma
प्रेम
प्रेम
Dr.Archannaa Mishraa
It’s all be worthless if you lose your people on the way..
It’s all be worthless if you lose your people on the way..
पूर्वार्थ
नदी तट पर मैं आवारा....!
नदी तट पर मैं आवारा....!
VEDANTA PATEL
"कड़वी ज़ुबान"
Yogendra Chaturwedi
Udaan Fellow Initiative for employment of rural women - Synergy Sansthan, Udaanfellowship Harda
Udaan Fellow Initiative for employment of rural women - Synergy Sansthan, Udaanfellowship Harda
Desert fellow Rakesh
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
Atul "Krishn"
भौतिक सुख की चाह में,
भौतिक सुख की चाह में,
sushil sarna
हे अजन्मा,तेरा कैसे जन्म होगा
हे अजन्मा,तेरा कैसे जन्म होगा
Keshav kishor Kumar
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
डॉक्टर रागिनी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
खोया है हरेक इंसान
खोया है हरेक इंसान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
पार्वती
पार्वती
लक्ष्मी सिंह
*तू और मै धूप - छाँव जैसे*
*तू और मै धूप - छाँव जैसे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ଏହି ମିଛ
ଏହି ମିଛ
Otteri Selvakumar
Loading...