Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2018 · 1 min read

@> नेताजी का आदर्श <@

हमारे नेता जी का आदर्श ,
कंकड़ – पत्थर सब हजम ,
फिर भी भूख न हो कम ।

Language: Hindi
357 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीत
जीत
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
एक ज्योति प्रेम की...
एक ज्योति प्रेम की...
Sushmita Singh
मां का हुआ आगमन नव पल्लव से हुआ श्रृंगार
मां का हुआ आगमन नव पल्लव से हुआ श्रृंगार
Charu Mitra
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
DrLakshman Jha Parimal
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
Trishika S Dhara
मिट्टी का बदन हो गया है
मिट्टी का बदन हो गया है
Surinder blackpen
* आओ ध्यान करें *
* आओ ध्यान करें *
surenderpal vaidya
******जय श्री खाटूश्याम जी की*******
******जय श्री खाटूश्याम जी की*******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं अकेली हूँ...
मैं अकेली हूँ...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बरसात (विरह)
बरसात (विरह)
लक्ष्मी सिंह
*इस बरस*
*इस बरस*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
सत्य कुमार प्रेमी
एक  चांद  खूबसूरत  है
एक चांद खूबसूरत है
shabina. Naaz
बना चाँद का उड़न खटोला
बना चाँद का उड़न खटोला
Vedha Singh
2659.*पूर्णिका*
2659.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिश्ता चाहे जो भी हो,
रिश्ता चाहे जो भी हो,
शेखर सिंह
वसंत की बहार।
वसंत की बहार।
Anil Mishra Prahari
आसमां से आई
आसमां से आई
Punam Pande
दिन आज आखिरी है, खत्म होते साल में
दिन आज आखिरी है, खत्म होते साल में
gurudeenverma198
"वो पूछता है"
Dr. Kishan tandon kranti
भारत का अतीत
भारत का अतीत
Anup kanheri
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
* हर परिस्थिति को निजी अनुसार कर लो(हिंदी गजल/गीतिका)*
* हर परिस्थिति को निजी अनुसार कर लो(हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
डॉ अरूण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक 😚🤨
डॉ अरूण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक 😚🤨
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जब सांझ ढल चुकी है तो क्यूं ना रात हो
जब सांझ ढल चुकी है तो क्यूं ना रात हो
Ravi Ghayal
■ आज की परिभाषा याद कर लें। प्रतियोगी परीक्षा में काम आएगी।
■ आज की परिभाषा याद कर लें। प्रतियोगी परीक्षा में काम आएगी।
*Author प्रणय प्रभात*
जीवन है पीड़ा, क्यों द्रवित हो
जीवन है पीड़ा, क्यों द्रवित हो
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
वफादारी का ईनाम
वफादारी का ईनाम
Shekhar Chandra Mitra
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
Rituraj shivem verma
रात के अंँधेरे का सौंदर्य वही बता सकता है जिसमें बहुत सी रात
रात के अंँधेरे का सौंदर्य वही बता सकता है जिसमें बहुत सी रात
Neerja Sharma
Loading...