नेकी
मैं छोटी बड़ी नेकियाँ
करता गया…
और दरिया में डाल दिया … !
अफसोस !
एक दिन,
मैं नेकी नहीं कर पाया…
मैंने सोचा,
सैकड़ों बार उपकृत लोग,
मेरी
नेकी न कर पाने की प्रथम
विवशता को भी,
दरिया में
डाल देंगे!
किंतु यह क्या?
मैं हतप्रभ था!
देखकर…
कि लोगों ने,
मेरी नेकियों को ही,
दरिया में डाल दिया।
-चन्दन कुमार ‘मानवधर्मी’