मुक्तक:”नूर-ए-दीदार”
पिय को अपने प्रेम की चाहत है,
मेरे यार को मेरे इन्तजार की चाहत है ।
साअत (घड़ी) आ चुकी है,
प्रेम मिलन की,
मुझे मेरे “नूर-ए-दीदार” की
चाहत है…।।
– आनन्द कुमार
पिय को अपने प्रेम की चाहत है,
मेरे यार को मेरे इन्तजार की चाहत है ।
साअत (घड़ी) आ चुकी है,
प्रेम मिलन की,
मुझे मेरे “नूर-ए-दीदार” की
चाहत है…।।
– आनन्द कुमार