नूतन वर्ष
नवीन चेतना… नूतन वर्ष
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आया है नववर्ष लिए खुशियों की शौगत
सब मिलजुल स्वागत करें इसका अपने द्वार,
इसका अपने द्वार काम कुछ करें भलाई
भले से बेहतर नहीं कोई है मिष्टी मलाई।
कहे “सचिन” कविराय वक्त ना करना जाया
संदेश लिए मानवता का यह वर्ष है आया।।
दिल से इस नववर्ष का चलो करें सम्मान
मन भीतर ईर्ष्या पले कर उसका परित्याग,
कर उसका परित्याग प्रेम हम करे सभी से
नूतन का संकल्प यहीं ना वैर किसी से।
कहे “सचिन” कविराय मनुज अपनो से मिलले
मानवता का मान रखो मनुज तूं दिल से।
आया है नववर्ष प्रिय लेकर शुभ संदेश
नये वर्ष में रहे नहीं कहीं कोई भी क्लेश,
कहीं कोई भी क्लेश न कोई आपा खोवे
मिटे आतंक चहुंओर कहीं कोई अब ना रोवे।
कहे “सचिन” कविराय आतंक ने बहुत रुलाया
शान्ति का संदेश लिए यह वर्ष है आया।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”