नुमाइशों का दौर है।
नुमाइशों का दौर है तुम संभलकर रहना।
नंगापन बन गया है खूबसूरती का गहना।।1।।
सूरत ही सूरत है सीरत दिखाई नहीं देती।
हिजाब में होता नहीं अब कोई भी चेहरा।।2।।
चिलमन की नज़र अब आशिकों में कहां।
जो हाले दिल बता देती थीं सारा अपना।।3।।
गुनाह हर सिर पर चढ़ कर बैठा है इतना।
किसी भी रिश्ते में प्यार दिखता कहीं ना।।4।।
अजीब हो गयी है खुदा देख तेरी दुनियाँ।
इंसानियत दिलों में अब बिल्कुल रही ना।।5।।
अंजाने में मेरे दिल को हो गई मोहब्बत।
सुकूंन-ओ-चैन मुझको मिलता कहीं ना।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ