नुकसान
ए बाबू कुछ पैसे दे दो, सुबह से कुछ नहीं खाया है. कहते कहते वो औरत सतीश के सामने आकर खड़ी हो गई.
चेहरे पर ही मजबूरी के भाव झलक रहे थे. साथ में एक लड़की थी जो किशोरावस्था में प्रवेश कर चुकी थी.
सतीश जेब से दस रुपए निकाल कर उसे देते हुए बोला , लो वहाँ ढाबे पर जाकर कुछ खा लेना.
चाय पीकर लौटते हुए अचानक सतीश को वही औरत एक सड़क छाप व्यक्ति के पास खड़ी दिखाई दी. बराबर से गुजरते हुए उसे सुनाई दिया, पूरे एक सौ बीस रुपैया है आज की कमाई.
तभी उसकी लड़की की आवाज सुनाई दी, अरे माई, ये देखो छह सौ रुपए तो मैं ही कमा लाई.
आजकल लड़के बड़ी जल्दी नोट निकल देते हैं, कह कर वह हँस दी.
बड़े वाहियात लोग हैं, ऐसे ही लोगों के कारण लोग गरीबों पर भरोसा नहीं करते. बैठे बिठाए दस रुपए का नुकसान हो गया.
बड़बड़ाते हुए सतीश अपने दफ्तर में वापस आ गया.
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद.