नील गगन
विषय – नील गगन
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छाया है सकल भूखंड के ऊपर
अद्भुत सुंदर नील गगन !
आदि-अंत न परिलक्षित होता,
असीम अपार है नील गगन!
सूर्य-चंद्रमा तेरे आभूषण
अलंकृत करते हैं तारागण
कुदरत का तुझमें छिपा विधान
ओ नील गगन! जग का वितान!
तेरे तल पर होता मेघ-सृजन,
प्लावित फिर होता धरा का दामन,
पृथ्वी की सुनहरी छत बन जाता,
नील गगन! तेरा खुला ऑंगन।
दूर सही पर तेरे साथ से ही
धरती का अस्तित्व हुआ है पूर्ण
दूर क्षितिज पर दिखलाई देता
धरती-गगन का मधुर मिलन।
पंछी जहाँ भरते स्वच्छन्द उड़ान
उस नील गगन से प्रेरित हर इनसान
अपनी मुट्ठी में करने को आतुर
अपने -अपने हिस्से का आसमान!
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खेमकिरण सैनी
31.03.2020