नीर ( जल दिवस )
#जलदिवस
नीर
ये जो नीरी नीर है
ये ना हो तो बस पीर है ,
जब होती है ये बेशुमार
तो मच जाता है हाहाकार ,
और फेर लेती है जब ये मुख
सब कुछ जाता है तब सूख ,
इस प्रकृति की धार को
अपनी जटा में शिव की तरह लपेटो
इसको बचाओ इसका संरक्षण करो
भविष्य के लिए इसको सबके लिए समेटो ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 07/07/2019 )