नीरसमें भी रसमिलता है :– जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट१३६)
भले लगे प्रतिकूल सत्य यह , नीरस में भी रस मिलता है
माना साथ धूप तरुवर का ,होता कभी नहीं चिर’ थायी ।
माना फूल और कॉटोंकी , सीमत है संयोग मितायी ।
भले लगे प्रतिकुल , सत्य यह , शूलों से भी यश मिलता है ।।
जिसको दुख है मीत न मिलते , उसके उर में चाह नहीं है ।
सुमन न खिलते अगर प्रीत के , तो जीवनकी राह नहीं है।
भले लगे प्रतिकूल सत्य यह , पंक– राशि नीरज खिलता है ।
नहीं जीविका का हो साधन , और न बल हो उसके तन में ।
कैसे करे कठोर श्रमिक श्रम , कॉप – कॉप रहता निज मन में ।
भले लगे प्रतिकूल, सत्य यह , बंजर में भी हल चलता है ।।—– जितेंद्र कमल आनंद| रामपुर —२४४९०१
—– ७-११-१६