नीरज चोपड़ा उवाच
जब से गोल्ड जीतकर आया हूं ,
एक पल भी चैन से रहने ना दिया।
कभी पार्टियां ,कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस ,
तो कभी पुरस्कारों से घर भर दिया।
तारीफों की बौछार हर समय बरसे ,
कर कर के गुणगान अखबारों को भर दिया ।
कभी सोचता हूं अगर मैं असफल हो जाता तो …
मैने इंसानों की फितरत को देख लिया ।