Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

नीम का पेड़

आज कटेगा !
आज मिटेगी’ पहचान
इस घर की
जो था कभी पुरखों की शान
वह पेड़ नीम का।।

जिसने देखी ‘ कितनी चौपालें

जिसकी डाली पर पड़े थे,
झूले सावन में हर साल
ठंडाई भांग की खूब छनी थी

ढोल मंजीरे पर गूंजी थी
फागुन मे फगुआ की तान’!!
अब हो गया था बूढ़ा

वह पेड़ नीम का ।।
चले गये लोग जो करते थे उससे प्यार

लगता आखिर कैसे अच्छा
पेंट लगे पक्के घर के सम्मुख
वह पेड़ नीम का ।।

मोटर से चलने वाला आरा
आ गये लेकर ठेकेदारा
बंध गए रस्से डालों पर

घर-घर की कर्कश
आवाजों से गूंजा गांव
टुकड़े टुकड़े में कट रहा था
वह पेड़ नीम का।।
दो घंटे सिर्फ लगे
पुरखों की पहचान मिटाने में
नाप नाप कर टुकड़े करके
लाद रहे थे गाड़ी पर
फिर कीमत खरीदार ने
सौंपी नये मालिक को
बिक गया बेचारा
वह पेड़ नीम का।।
गाड़ी पर लदे नीम के टुकड़े
अन्तिम बार देख रहे थे
वह भूमि जिस पर वह
मस्ती में लहराया था
देकर शीतल छाया
रो रो बिदा हुआ द्वार से
वह पेड़ नीम का।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव” पूनम “

1 Like · 54 Views
Books from Jai Prakash Srivastav
View all

You may also like these posts

*अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्
*अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्
Ravi Prakash
मेरे नसीब
मेरे नसीब
ललकार भारद्वाज
वक्त
वक्त
Dinesh Kumar Gangwar
जीवन हो गए
जीवन हो गए
Suryakant Dwivedi
पाप के छेदों की एम्बाडरी (रफु ) के लिए एक पुस्तक है। जीसमे
पाप के छेदों की एम्बाडरी (रफु ) के लिए एक पुस्तक है। जीसमे
*प्रणय*
3572.💐 *पूर्णिका* 💐
3572.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
पलकों पे जो ठहरे थे
पलकों पे जो ठहरे थे
Dr fauzia Naseem shad
दोहा
दोहा
seema sharma
अच्छे कर्म का फल
अच्छे कर्म का फल
Surinder blackpen
विदेह देस से ।
विदेह देस से ।
श्रीहर्ष आचार्य
मेघों का मेला लगा,
मेघों का मेला लगा,
sushil sarna
प्रकृति की गोद
प्रकृति की गोद
उमा झा
सरफिरे ख़्वाब
सरफिरे ख़्वाब
Shally Vij
कैसे कह दूँ....? नींद चैन की सोने दो...!
कैसे कह दूँ....? नींद चैन की सोने दो...!
पंकज परिंदा
"राखी का तोहफा"
Jyoti Roshni
*माँ जननी सदा सत्कार करूँ*
*माँ जननी सदा सत्कार करूँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नींव_ही_कमजोर_पड़_रही_है_गृहस्थी_की___
नींव_ही_कमजोर_पड़_रही_है_गृहस्थी_की___
पूर्वार्थ
एक एहसास
एक एहसास
Dr. Rajeev Jain
संसार का स्वरूप (2)
संसार का स्वरूप (2)
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
*
*"सीता जी का अवतार"*
Shashi kala vyas
नित  हर्ष  रहे   उत्कर्ष  रहे,   कर  कंचनमय  थाल  रहे ।
नित हर्ष रहे उत्कर्ष रहे, कर कंचनमय थाल रहे ।
Ashok deep
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Rashmi Sanjay
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
जब अकेला निकल गया मैं दुनियादारी देखने,
जब अकेला निकल गया मैं दुनियादारी देखने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कोई किसी के लिए जरुरी नहीं होता मुर्शद ,
कोई किसी के लिए जरुरी नहीं होता मुर्शद ,
शेखर सिंह
चाय की आदत
चाय की आदत
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Whenever Things Got Rough, Instinct Led Me To Head Home.
Whenever Things Got Rough, Instinct Led Me To Head Home.
Manisha Manjari
हम अपने जन्मदिन ,सालगिरह और शुभ अवसर का प्रदर्शन कर देते हैं
हम अपने जन्मदिन ,सालगिरह और शुभ अवसर का प्रदर्शन कर देते हैं
DrLakshman Jha Parimal
विद्यार्थी जीवन
विद्यार्थी जीवन
Santosh kumar Miri
वंचित है
वंचित है
surenderpal vaidya
Loading...