नीति के दोहे
१.
नमन करूँ माँ शारदे .. करुं विनय कर जोर।
विद्या का वरदान दो..करो ज्ञान की भोर ।।
२.
यह नर तन तुझको मिला,रख ले इसका मोल..
जब तक जीवन पास है,मधु सा मीठा बोल॥
३.
आत्मा रूपी नार का,ऐसा कर श्रृंगार
कट जाएं सब बंध भी,भव से हो तू पार…
४.
देह सजी श्रृंगार से ,मन के भीतर मैल
राम नाम के लेप से ,बनते बिगङ़े खेल…
५.
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बैदेही को आग मेँ,पड़ी तपानी देह ।
तप के बिन ईश्वर नहीं,करे देह से नेह ।।
Ankita