नीति के दोहे 2
1
तुलसी , सूर , कबीर ओ रहिमन को मत भूल
मिटता मन का मल और , दोहे सुंदर फूल
2
मानो अपना धर्म पर, सबका कर सम्मान
ईश्वर होता एक हैं, नाम अलग हैं जान
3
सच्चा सुख संतोष में, कहते हैं भगवान
दाता ने सब कुछ दिया, देख जरा नादान
4
सुनत प्रशंसा और की, मन प्रसन्न हो जाय
ऐसे मानव धन्य हैं, लीजे गले लगाए
5
दुख सुख ये बांटे बिना , पाया ना कोई चैन
सबको अपना मानकर, बोले मीठे बैन