नीति अनैतिकता को देखा तो,
नीति अनैतिकता को देखा तो,
तुझे जगाने आया हूंँ।
सुनी कहानी दादा दादी से,
स्मृति सजाने आया हूँ।
पण्डित जी के चरण कमलों में,
शीश झुकाने आया हूँ।
आजाद पार्क के मिट्टी का,
मैं तिलक लगाने आया हूँ।
नीति अनैतिकता को देखा तो,
तुझे जगाने आया हूंँ।
सुनी कहानी दादा दादी से,
स्मृति सजाने आया हूँ।
पण्डित जी के चरण कमलों में,
शीश झुकाने आया हूँ।
आजाद पार्क के मिट्टी का,
मैं तिलक लगाने आया हूँ।