नींव
पहले मिट्टी के
घरों की नींव भी
मजबूत होती थी
एक घर में दस बारह
लोग रहते थे
आज पक्के मकानों की
नींव ही नही होती
दो लोग (पति पत्नी) भी
नहीं निभा पाते है
जीवन अपना
झूठ भरेव
लूट खसौट
बस यही
आदर्श है
पक्के
घर घर के
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल