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7 Oct 2016 · 1 min read

नींद

नींद पलकों तक आ
जाती तेरे दर निवास
कोशिश करूँ सोने की
खो जाती है किधर

देख तेरी विरह व्यथा मैं
शून्य में गुम हो जाती
करने को बेबस बहुत
नही सकती कर कुछ

हाल तुम अपना सभालो
विषम पर विजय पा लो
अपने को ही सजा लो
बस इतना अपना मान लो

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
73 Likes · 362 Views
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