नींद
रात आई, छाई चाँदनी की रात,
नींद ने खोला अपना सर्वराज।
सपनों की दुनिया में ले गई मुझे,
खोई हुई राहों में ले गई मुझे।
चिरपिंग चींटियों की सुरीली छाया,
नींद की मिठास, मन को बहुत भाया।
सितारों का चमकता सागर बहुत ही गहरा,
नींद में खो जाना, लगा कुछ अलग सा।
सपनों की ऊँचाई, है बेहद सुंदर,
नींद में हूँ मैं, जैसे खोया हूं बीच समंदर।
दिल की धड़कनों में, है एक प्यारी सी छाया,
नींद में ही मिलता है, सुकून ही सुकून पाया ।