नींद हमारी ख्याव तुम्हारे
अलसाई अलसाई नींद में
जब ख्याव तुम्हारा आ जाता है
केवल तुम ही तुम होते हो
याद तुम्हारी जगा जाता है
प्रिय प्रियतम जब
साथ तुम मेरे नींद में होते हो
मैं सो जाती हूँ बेफिक्र
श्रंगार तुम मेरा नित होते हो
स्पन्दन कर मेरा
मारूत सा सुवासित करते हो
कर मुझे आलिंगन में बद्ध
रागिनियों सा राग सजाते हो
नींद से जागती हूँ मैं
ख्याल तेरा फिर बिखेर जाता है
कोंपल सी कोमल
मृदु मुस्कान मुख पर
डॉ मधु त्रिवेदी