नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे
वो मेरे नजर के सामने हो तो
क्यूं कर बंद कर दो ये आँखे
नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे…
वो मेरे नजर सामने ना हो तो
क्यूं कर बंद कर दो ये आँखे
नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे…
वो हर वक्त रहते हैं मेरी आंखों में
क्यूं कर बंद कर दो ये आँखे
नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे…..
मेरी परछाईं में भी दिखती है मूरत तेरी
क्यूं कर बंद कर दो ये आँखे
नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे……
बिस्तरर भी तेरा आलिंगन सा लगता है
क्यूं कर बंद कर दो ये आँखे
नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे…..
गीत के हर शब्दं में साकार हैं वो
क्यूं कर बंद कर दो ये आँखे
नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे….
हर सुर की गूंज में रहते हैं वो
क्यूं कर बंद कर दो ये आँखे
नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे….
वो किसी परेशानी में घिरे हो तो
क्यूं कर बंद कर दो ये आँखे
नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे…..
वो किसी परेशानी में ना हो तो
क्यूं कर बंद कर दो ये आँखे
नींद तुम यूं ही परेशान हो मुझसे…
हां नींद यूं परेशान हो तुम मुझसे…
हां नींद यू परेशान हो तुम मुझसे….
लक्ष्मण्ा सिंह
जयपुर