नींद और ख्वाब
नींद और ख्वाब के दरम्यान रेखा है याद की।
कुछ हसीन कहानियां हैं दिल ए बर्बाद की।
आज देखा जो तुम्हारे घर का बंद दरवाजा,
कई बेघर परिंदों ने अपनी दुनिया आबाद की।
काश आंखों आंखों में न होता सौदा दिल का
बात यहीं बनी जड़ आखिर सारे फ़साद की।
सपनों का हर महल धराशाई हो कर ही रहा
आखिरी ईंट तक हिल गयी थी बुनियाद की।
बेवफा सनम दे गया कुछ ऐसे ज़ख्म गहरे
धज्जियां उड़ा के रख गया वो मेरे एतमाद की।
सुरिंदर कौर