नि: शब्द
अगर इंसान भगवान बन जाएं
मुसीबत की हर घड़ी में
हर सुख या दुःख में तो
कोई मंदिर के द्वार नहीं जाएगा
लेकिन इंसान ऐसा करते नहीं
किसी के सुख से दुःखी होते हैं
किसी के दुःख से दूर होते हैं
बस अपने आप के लिए जीते हैं
दिनभर सच सच सुनने की
रट लगाए बैठे रहते हैं
सच कहकर तो देखो एक बार
बिना बताए सारे रिश्ते तोड़ लेते हैं
सोशल मीडिया में जितनी हमदर्दी है
काश! अपने पड़ोसियों और
परिवारों के लिए उतनी ही हमदर्दी होती
तो शायद लोग अकेले रहना पसंद नहीं करते
यहां भलाई का कोई जमाना नहीं
धर्म के नाम पर दान में बूढ़ों अपंगों को
दो रोटियां मिल जाती थी
अब वो धर्मात्मा उन्हें मिलते नहीं कहीं
अपने स्वार्थ के लिए बूढ़े मां बाप,
बच्चों, अपंगो को अनाथ आश्रम में
रखकर भागने वाले न जानें कितने होंगे
दया नहीं कर सकते तो अपमान भी मत करो
किसी दुखियारे की हाय मत लो
किसी के आंसुओं की वजह मत बनो
अगर मदद नहीं कर सकते हो तो मना कर दो
लेकिन किसी का अपमान करने का अधिकार नहीं तुम्हें
_ सोनम पुनीत दुबे