*नि:स्वार्थ विद्यालय सृजित जो कर गए उनको नमन (गीत)*
नि:स्वार्थ विद्यालय सृजित जो कर गए उनको नमन (गीत)
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नि:स्वार्थ विद्यालय सृजित जो, कर गए उनको नमन
(1)
जिनका हृदय परहित भरा था, भाव पर-उपकार था
शिक्षित समूची सृष्टि करने, श्रेष्ठ उच्च विचार था
गाथा सदा गाते रहेंगे, भव्य शिक्षा के भवन
(2)
निष्काम जिनके भाव थे, विद्वान सब संसार हो
विद्या सुलभ घर-घर बने, इस यत्न का विस्तार हो
अविराम तन-मन और धन का, दान थी जिन की लगन
(3)
उस पंथ पर हम पग धरें, वह जो कि उनकी साधना
परमार्थ सेवाभाव जिनकी थी नियत आराधना
कर्तव्य-पथ जिनका सुवासित, था बिना कोई थकन
नि:स्वार्थ विद्यालय सृजित जो, कर गए उनको नमन
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451