निष्ठुर संवेदना
दुष्कर पथ, प्रस्तर के टीले
तप्त मार्ग , तपते रहना है l
पथ अवरुद्ध करे यदि बाधा ,
नित संघर्ष करते रहना है l
भावहीन चक्षुओं ने अनगिनत
विध्वंस के दृश्य संजोये ,
गर्भ में उनके निर्माणों के
बीज स्वतः ही हमने बोये ,
भय मुक्त हो झंझावत से
निरन्तर चलते रहना है l
दुष्कर पथ, प्रस्तर के टीले
तप्त मार्ग , तपते रहना है l
कतिपय निष्ठुर संवेदनाओं को
दुत्कारा प्रति क्षण हमने तो ,
संशय पूर्ण हृदय में खोजा
प्रसन्नता का कण हमने तो ,
पड़ा बिखरना तो सुगंध बन
सुमनो सा खिलते रहना है l
दुष्कर पथ, प्रस्तर के टीले
तप्त मार्ग , तपते रहना है l
भावनाओं के भीषण रण में
तीर विषैले किधर से आए ,
मंद मंद स्मित अधरों ने
ज्वालामय व्यंग बाण चलाए ,
किन्तु बुझा कर कटुता दीपक
अश्रुओं में ढ़लते रहना है l
दुष्कर पथ, प्रस्तर के टीले
तप्त मार्ग , तपते रहना है l