निशिपाल छन्द
निशिपाल छन्द, 15 वर्ण
गण- भगण जगण सगण नगण रगण
मापनी- 211 121 112 111 212
देखकर आज उसको मगन हो गया।
आज फिर जो प्रणय का मिलन हो गया।
हाथ रख शीश उसने शपथ आज दी,
प्रेम में प्राण प्रिय प्राण धन हो गया।
प्रेम अनुभूति मिलती बहुत कष्ट से।
लोग करते मगर हैं गलत दृष्टि से।
प्रेम उसकी नजर में जहर आज है
जो समझते मगर है बहुत क्लिष्ट से।
अदम्य