निशाने आ गया
वज़्न – 2122 2122 212
आज में तुमको बताने आ गया।
दिल मिरा तेरे निशाने आ गया।
ज़ीस्त सारी कट गई इक़ साँस में।
प्यार जब मुझको डुबाने आ गया।
ज़ुल्फ़ तेरी मै सँवारू रात दिन।
वक्त ऐसा मस्त पाले आ गया।
खुद खुदा भी बेखुदी को छोड़ कर।
साथ तेरा क्यों निभाने आ गया।
झूमती कलियाँ चमन में खुद ब खुद।
जब भंवर उनको रिझाने आ गया।
रात भी अब सिमटने यूँ लगी।
जोश मानो अब ठिकाने आ गया।
तिफ़्ल सारे दौर के सहमे हुए।
इल्म उनको जो रुलाने आ गया।
क्यों जवानी रो रही है आज कल।
दौर ऐसा अब सताने आ गया।
गंध चम्पा सी झरे यूँ जिस्म से।
बाग ज्यो निकहत लुटाने आ गया।
रूह कम्पित जो हुई लख हादसा।
जान जोखिम जो उठाने आगया।
ख्वाब मिटते जा रहे ‘मधु’ या खुदा।
उम्र का यह दौर जाने आ गया।
******मधु गौतम 18 02 2017