* निशाने आपके *
** मुक्तक **
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हैं बहुत तीखे निशाने आपके।
जानते सब हैं बहाने आपके।
मौन रहकर भी बहुत कुछ कह दिया।
हो गये हैं सब दीवाने आपके।
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आज मन की बात रहने दीजिए।
भावनाएं सुप्त जगने दीजिए।
बात अधरों पर ठिठकती जा रही।
सत्य आंखों में छलकने दीजिए।
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गम सभी भूल कर मुस्कुरा दीजिए।
जिन्दगी में नया गुल खिला दीजिए।
है समय भी नयी करवटें ले रहा।
गीत सुन्दर मधुर गुनगुना दीजिए।
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दीप बुझने लगे यामिनी जा रही।
कालिमा वक्त की सब मिटी जा रही।
जब सितारा छुपा जा रहा भोर का।
लालिमा से दिशाएं खिली जा रही।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)