निशानियां कुछ ऐसी —– प्यार था — मुक्तक
निशानियां कुछ ऐसी दिल में तुम्हारे छोड़ जाऊंगा।
भूलना चाहोगे लाख याद बार-बार आऊंगा।
लगे कभी फिर से जरूरत पुकारना दिल के किसी कोने से,
सुन लेगा दिल आहट तुम्हारी,रहोगे जहां वही चला आऊंगा।।
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प्यार था प्यार है प्यार ही रहेगा जमाने में यारा।
प्यार फकत लब्ज़ नहीं,प्यार से बसा संसार ये सारा।
न बांध बैठना प्यार को किसी एक दायरे में,
चाहत”अनुनय” की,प्यार से ही हो सबका गुजारा।।
राजेश व्यास “अनुनय”