निवेदन
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रोकिये अपराध
अपराधियों के
मनोबल तोड़िये।
वोट पीछे किजिये
अब देश आगे किजिये
शुद्ध मन से सभ्यता में
मानवीयता लाईये।
मानिये यह सच
कि अपराधियों के
जात होता‚धर्म है होता।
सत्य को सर तो
उठाने दिजिये।
जो कह रहा है
बेखौफ कहने दिजिये।
जाति क्योंकि‚धर्म क्योंकि
है उपज नफरत के गहरे
सोच का
विजय को आतुर
लालसा में लोभ का।
क्या सिखाता है नहीं
वह ग्रंथ ?
जिसको किये आधार
ये सारी सभ्यता का
भर रहे हम दम।
शोषण‚यातना के पथ?
कौन सा है कर्म किसका
जो न संचालित हुआ इससे।
वर्ण का वर्णन–विभाजन
धर्म के विस्तार हित
शस्त्र का धारण।
विजय की लालसा?
घृणा गुम्फित
करूणा‚दया के आवरण में।
दे सुरक्षा है रहा शासन
अपराधियें को
समीक्षा किजिये।
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