निवास
निवास
निवास राम नाम गेह में सदा मनुष्य का।
विकास हो प्रकाशमान भाव हो मनुष्य का।
मनुष्य राम भक्ति में सदैव लीन हो चले।
करे सहर्ष दिव्य -राम -चाकरी सदा फले।
निराश हो कभी नहीं सदैव राम संग हैं।
करें सदैव भक्त रक्ष राम जी उमंग हैं।
सदैव याचना सुनें महान रामचंद्र जी।
सहायतार्थ दौड़ते तुरंत राघवेन्द्र जी।
परोस प्रेम-थाल को प्रयास तो किया करो।
उदार राम ईश से सलाह तो लिया करो।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी ।