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10 May 2023 · 1 min read

निलाम जिंदगी

हमने तो अपनी ज़िन्दगी तमाम कर दी,
अपनी तो हर साँस उनके नाम कर दी।

सोचा था कि कभी तो गुजरेगी रात काली,
पर उसने तो सुबह होते ही शाम कर दी।

समझ पाते हम मोहब्बत की सरगम को,
उसने सुरों की महफ़िल सुनसान कर दी।

कर लिया यक़ीन हमने भी उसके वादों पे,
मगर उसने तो बेरुखी हमारे नाम कर दी।

हम मनाते रहे ग़म अपनी मात पर चुपचाप,
मगर उसने तो मेरी चर्चा सरे-आम कर दी।

ये खुदगर्ज़ी ही आदमी की दुश्मन है “मिश्र”,
जिसने इंसान की नीयत ही नीलाम कर दी। …….

Language: Hindi
133 Views
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