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22 Jun 2023 · 2 min read

निर्वासन

उन लाेगाें का वर्षाें से वहाँ रहना
उन्हें अब बहुत ही खलने लगा था
आतंक की भीषण आग में झूलस
सम्पूर्ण कश्मीर ही जलने लगा था
अपने इस दुर्भाग्य पर स्वयं आज
बिलख कर रो रहा था पूरा कश्मीर
यह बात केवल भयंकर ही नहीं थी
हाे गई थी अब बहुत अधिक गंभीर
नहीं था वहाँ पर काेई भी अपना
उनका दूर दूर तक कहीं रखवाला
और नहीं ही था कोई भी वहाँ
उन लाेगाें का आँसू पोछने वाला
जनवरी उन्नीस सौ नब्बे की
वो भयानक विकराल काली रात
अभी अधिक दिन भी कहाँ हुए
बस है तीन दशक पहले की बात
एक झटके में वर्षोंं से निवासित
लोगों की ताे दुनिया ही बदल गई
हुआ था इतना जघन्य अत्याचार
अन्दर तक आत्मा भी दहल गई
पड़ोसियों ने भी धर्म के नाम पर
खींच ली थी एक लक्ष्मण रेखा
किसके साथ क्या क्या हुआ था
उसने आँखाें से कुछ नहीं देखा
कश्मीर छोड़ो या धर्म बदल लाे
भय से हतप्रभ थे वहाॅं पण्डित सारे
हर हाल में कश्मीर से निकलो
खुलेआम लगे थे ऐसे ऐसे ही नारे
इतना बड़ा जुल्म होने के बाद भी
सरकार कुंभकरण बन कर थी सोई
विधाता भी अपने ही निर्माण पर
आज फफक फफक कर रोई
मानवाधिकार और मीडिया का
कहीं भी नहीं था काेई नामोनिशान
सरकार आतंकियों के आतंक से
कहाँ दिख रही थी परेशान
अपने ही देश में लाेग अब ताे
शरणार्थी बन कर जी रहे थे
जुल्म पर लोगों की बेरुखी काे
कड़ुवा घूंट की तरह पी रहे थे
अभी भी असत्य की वकालत से
राजनेता कहाँ आ रहे हैं बाज
राज धर्म निर्वहन न कर पाने की
उन्हें तनिक भी नहीं थी लाज

Language: Hindi
1 Like · 242 Views
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