” निर्ममता “
आह ! इतना निर्मम अत्याचार
फूल से कोमल हाथ
इन हाथों को देना था
कलम – दवात का साथ ,
लेकर इन हाथों से खिलौने
रख दिया इटों का भार
इन मासूमों को देख कर
दुखता नही हृदय अपार ?
हम इनकी खा गये भूख
इनका लील गये चैन
फिर भी देखो हमको
होते नही तनिक बेचैन ,
ये भविष्य हैं हम सबका
उसी को हमने नाश कर दिया
छिन कर इनका बचपन
अपना सर्वनाश कर दिया ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/09/2020 )