निर्ममता का नाम जगत है।
निर्ममता का नाम जगत है।
सूरज अपने वज्रघात से तम के टुकड़े कर देता है,
संध्या में जब थकता सूरज तम आकर बदला लेता है,
यही कहानी है इस जग की बोलो इससे कौन विरत है,
निर्ममता का नाम जगत है।
सावन भादों में लहरों के हाथ काटते कूल किनारे,
जेठ में तपती धरती बढ़ती नदियों को दिन रात पछाड़े,
सूरज सतत साक्षी इसका सदियों से संघर्ष सतत है,
निर्ममता का नाम जगत है।
यह निर्ममता ही जीवन में सुंदरता की रचना करती,
सब अपना कर्तव्य निभाते जो हमको निर्ममता लगती,
जो खुद को अक्रूर बताए जानो उसकी बात असत है ,
निर्ममता का नाम जगत है।