निर्भया
यह कविता दुभग्यपूर्ण निर्भया प्रकरण के बाद लिखी गयी ..
नारी तू तोह भारत का मान है सम्मान है
फिर क्यों हो रहा आज इस देश मे तेरा आपमान है
संस्कार जिन पर हमें कभी गर्व था मान था
जो हमारे लिए सबसे बड़ा अताम्सम्मान था
क्यों हो गया उन्ही संस्कारो मूल्यों का हनन है
आज समाज मे येही करना चिंतन मनन है
ना जाने कहाँ विलुप्त हुई ऋषि मुनियों की शिक्षा है
जो देनी पड़ रही नारी आज तुझे अग्निपरीक्षा है ।।
लेकिन नारी तुझे भी अपनी सोई शक्ति को जागना होगा
कोई ना कर सके अत्याचार ऐसा अपने को बनाना होगा
तू क्यो घबराय तेरी वीरगाथाओं को लम्बी सूचीै
तेरे होंसलो की उड़ान तोह कल्पना से भी ऊंची
चावला (कल्पना) कोचर (चंदा) उषा जैसी अनगिनत अदभुत नारी
एक एक नारी है हाज़रो लाखों आत्याचारियोंं पे भारी
तुझे किसका डर तू तोह है झाँसी की रानी
इतिहास कहे अंगिनत वीरांगनाओ की कहानी
उठ खड़ी हो तुझे तोह बहुत कुछ करना ह
माँ भारती की सेवा करने दुनिया से लड़ना है
आज हम सबके दिल में है एक ही आरमान
तुझे लौटना है तेरा खोया हुआ आताम्सम्मान
अब हम प्रण ले की तेरा सम्मान वापिस आएगा
बहुत हो चूका गलत अब और सहा नहीं जाएगा
चल चुकी है जों लहर उसको अब नहीं रुकने देंगे
तेरा शीश अब हम कभी नहीं झुकने देंगे कभी नहीं झुकने देंगे ।।
– विवेक कपूर