निर्धनता ऐश्वर्य क्या , जैसे हैं दिन – रात (कुंडलिया)
निर्धनता ऐश्वर्य क्या , जैसे हैं दिन – रात (कुंडलिया)
———————–
निर्धनता ऐश्वर्य क्या , जैसे हैं दिन – रात
यह बदली ऋतुएँ कहो ,ग्रीष्म शीत बरसात
ग्रीष्म शीत बरसात ,बालपन यौवन आता
होती बूढ़ी देह , देह का बल घट जाता
कहते रवि कविराय , रंक राजा है बनता
राजा बनता रंक , कभी धन है निर्धनता
—————
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451