निरन्तरता
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ताजगी नई स्फूर्ति नई
उत्साह पुनः
जीवन लक्ष्य पाने को
कर्त्तव्य पथ पर
उत्तरोत्तर आगे बढ़ने को
प्रसन्नता अपार है
अगला दिन तैयार है
आरम्भ है,
जीवन के लक्ष्यों को
पाने को विराम नहीं।
लघुतम उपमा है
आपने कभी देखा
चींटी को स्थिर,
विराम एक पल भी?
नई दिशा में
हर पल आरोही अविराम।
जीवन के अन्तिम क्षण तक
रत अपने निज विकास
सीखते रहते हैं हरपल
अनुभव से करते सुधार।
–अनुज कुमार पाण्डेय