नियमानुसार कार्यवाही (लघु कथा)
नियमानुसार कार्यवाही (लघु कथा)
———————————————–
एक सरकारी स्कूल के बारे में जिला विद्यालय निरीक्षक के पास शिकायती पत्र आया । जिला विद्यालय निरीक्षक ने उसे पढ़ा और पढ़ने के बाद उस पर नोट लिखा : ” प्रधानाचार्य जी ! तुरंत नियमानुसार कार्यवाही करें ”
नोट लिखने के बाद उन्होंने कार्यालय के चपरासी को बुलाकर कहा “इस पत्र को डाक-बही में चढ़ा कर संबंधित विद्यालय के प्रधानाचार्य के पास ले जाओ ।”
चपरासी ने नियमानुसार डाक बही में कागज चढ़ाया और संबंधित विद्यालय में प्रधानाचार्य को ले जाकर सौंप दिया।
प्रधानाचार्य महोदय ने जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा भेजा गया पत्र पढ़ा तथा पढ़ने के बाद अपने विद्यालय के रिकॉर्ड रूम – प्रभारी को बुलाया । कहा “इस कागज को रिकॉर्ड पर चढ़ा कर मेरे समक्ष लाओ।”
रिकॉर्ड रूम प्रभारी इसी क्षण के इंतजार में था । पंद्रह दिन से उसके पास कोई काम नहीं आया था । उसे आशंका थी कि कहीं सरकार उसके पद को फालतू घोषित करके समाप्त न कर दे। महीने में एक-दो काम मिलते रहें ,तो पद बना रहता है । स्टोर रूम प्रभारी ने अलमारी से रजिस्टर उठाया ,धूल झाड़ी और प्रसन्नता पूर्वक रजिस्टर में पत्रांक चढ़ाने के बाद कागज पर वही पत्रांक अंकित किया और प्रधानाचार्य जी के पास ले गया । इसके बाद रिकॉर्ड रूम प्रभारी का कार्य समाप्त हो गया था । वह चला गया।
प्रधानाचार्य जी ने पत्र को पुनः पढ़ा और उस पर नोट लिखा : ” श्रीमान प्रधान लिपिक जी ! आज ही अभी तुरंत नियमानुसार कार्यवाही करें ।” नोट लिखने के बाद उन्होंने चपरासी को घंटी बजा कर बुलाया । चपरासी घंटी की आवाज सुनकर धन्य हो गया । वह इसी कार्य के लिए तो ड्यूटी पर रहता है । उसने प्रसन्नता पूर्वक प्रधानाचार्य जी से पत्र लेकर उसे प्रधान लिपिक जी के हाथों में सौंप दिया तथा अपने कार्यभार से मुक्त हो गया ।
प्रधान लिपिक महोदय ने पत्र को पढ़ा तथा पढ़ने के बाद एक दूसरे चपरासी को जो स्कूल के गेट पर ड्यूटी करता था ,घंटी बजा कर बुलाया । वह तुरंत दौड़ता हुआ आया । प्रधान लिपिक ने नोट लिखा : “प्रिय चपरासी ! इस पत्र में दी गई समस्या को जड़-मूल से तुरंत समाप्त करने की नियमानुसार कार्यवाही की जाए ।”
गेट-चपरासी ने पत्र हाथ में लिया और पढ़ता हुआ गेट तक पहुंच गया । पत्र में किसी ने शिकायत लिखी थी : “स्कूल में बच्चे बहुत कम आते हैं । जो बच्चे आते हैं उनमें से भी अधिकांश एक-दो पीरियड के बाद भाग जाते हैं । कृपया कार्यवाही करने का कष्ट करें ।”
चपरासी ने पत्र को पढ़ने के बाद पहले तो कूड़ेदान की तरफ कदम बढ़ाया । वह शायद कागज को फाड़कर कूड़ेदान में फेंकना चाहता था । लेकिन फिर उसने अपना इरादा बदल दिया । जेब से माचिस निकाली और कागज में आग लगा दी। नियमानुसार कार्यवाही संपन्न हुई ।
———————————————–
लेखक: रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451