नियति!
हताश न हो निराश न हो
अपने दुःखों से अंतर्मुखी न हो
कटु सत्य है ये जीवन का
न धरा पर ऐसा कोई जो दुःखी न हो।
प्रकृति के चित्रण में
हर मौसम की बरसात है
वैसे ही निरन्तर दिवस-रात्रि
और सुख -दुःख का साथ है।
यह पराजय तेरी कोई
बन्द जयद्वार तो नहीं है
यह अंधरो का कोई
अमर उपहार तो नहीं है
ह्रदय में अनिश्चयी कोई
दीवार तो नहीं है ।
छोड़ो न आस कभी
निराश कोई जीवन रीत नहीं है
विश्वास पर संसार कायम
कोई इसके विपरित नहीं है
मार्ग पकड़ो आशा का
इससे कभी टूटती प्रीत नहीं है!
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक