Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2020 · 2 min read

नियति

लघुकथा
शीर्षक – नियति
==============
डॉ वर्मा अपनी कोठी से निकलकर मोड़ पर पंहुचे ही थे कि रमिया की झोपड़ी के बाहर भीड़ देख कर उनके पैर अनायास कार के ब्रेक पर चले गये l एक ओर गाड़ी रोकी और पास जाकर भीड़ में से एक से पूछा – “क्या हुआ?”
” कुछ नहीं साहब, वो जुगनू कबाड़ी की घरवाली मर गई l”
” कैसे ?”
“पेट से थी,,, बताते हैं कि खून की कमी थी, शरीर जवाब दे गया ,,,”
जुगनू की घरवाली यानी रमिया प्रायः डॉ वर्मा के घर से रद्दी या कबाड़ का सामान ले जाती थी, ,,, धर्मपत्नी कभी कभी उसे पुराने कपड़े दे देती थी। ऐसे ही एक दिन क्लिनिक पर आयी थी रमिया अपने पति और बच्चों के साथ l कमजोर और मरियल सी दिखने वाली रमिया,,, देख कर तो कोई भी नहीं कह सकता था कि उसकी कोख में बच्चा पल रहा होगा l
“क्या हुआ”
” साहब बहुत कमजोरी लगती है l पेट से हूँ तो कुछ खाया पिया भी हजम नहीं होता”
” कौन सा बच्चा है ? ”
” चौथा है साहब l”
” तीन बच्चों के बाद भी क्या जरूरत थी इसकी l ख़ुद को खाने पहनने के लाले है , कैसे परवरिश करोगी इनकी”

“क्या करूँ साहब? हम कर ही का सकते हैं ?”

” ,, मेरी बात सुनो , अगर इस बच्चे के बाद तुम्हारे पेट में और बच्चा आया तो तुम्हें जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है,,, ढंग से खाओ पीओ,,,, जनने के बाद तुम प्रोटेक्सन ले सकती हो जिससे पेट से होने का खतरा दूर रहेगा”
” ये का होता है साहब”
” तुम अपना या अपने पति का ऑपरेशन करवा सकती हैं l गर्भ निरोधक गोलिया ले सकती हो l तुम्हारा पति निरोध प्रयोग कर सकता है ,,, जिससे तुम्हारा स्वास्थ्य बिलकुल ठीक रहेगा ”

” लेकिन साहब पैसा कहाँ है हमाये पास, जैसे तैसे तो दो जून की रोटी हिल्ला होत है l”
” इसमें पैसा नहीं लगता रमिया, सरकारी अस्पताल में सब फ्री मिलता है”
“ठीक है साहब हम अपने मरद को बतात है l” – कहते हुए जल्दी से रमिया दवाईया लेकर क्लिनिक से निकल गयी l
शायद उसे ये बाते समझ में नहीं आई होंगी या फिर पुरुष प्रधानता वाले देश में उसकी बात को दबा दिया गया होगा, ,,, बहरहाल उसके बाद रमिया नही दिखी l
“राम नाम” के ध्वनि से डॉ वर्मा की तंद्रा टूटी ,,, रमिया की अर्थी जा रही थी,, बच्चे बिलख बिलख कर रो रहे थे – माँ के मरने से या फिर भूख से ……. पता नहीं l

राघव दुवे

Language: Hindi
2 Likes · 459 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विश्वगुरु
विश्वगुरु
Shekhar Chandra Mitra
रमेशराज की गीतिका छंद में ग़ज़लें
रमेशराज की गीतिका छंद में ग़ज़लें
कवि रमेशराज
लफ्ज़
लफ्ज़
Dr Parveen Thakur
हमें दुख देकर खुश हुए थे आप
हमें दुख देकर खुश हुए थे आप
ruby kumari
बचपन
बचपन
Vedha Singh
"मयकश"
Dr. Kishan tandon kranti
समंदर
समंदर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
Fuzail Sardhanvi
मैं तन्हाई में, ऐसा करता हूँ
मैं तन्हाई में, ऐसा करता हूँ
gurudeenverma198
*जिंदगी के अनोखे रंग*
*जिंदगी के अनोखे रंग*
Harminder Kaur
बसंत (आगमन)
बसंत (आगमन)
Neeraj Agarwal
#ekabodhbalak
#ekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रकृति का विनाश
प्रकृति का विनाश
Sushil chauhan
किस्मत भी न जाने क्यों...
किस्मत भी न जाने क्यों...
डॉ.सीमा अग्रवाल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तुम तो ख़ामोशियां
तुम तो ख़ामोशियां
Dr fauzia Naseem shad
🌺प्रेम कौतुक-206🌺
🌺प्रेम कौतुक-206🌺
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
Vishvendra arya
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
surenderpal vaidya
सारा सिस्टम गलत है
सारा सिस्टम गलत है
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2889.*पूर्णिका*
2889.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सत्य = सत ( सच) यह
सत्य = सत ( सच) यह
डॉ० रोहित कौशिक
बंदूक की गोली से,
बंदूक की गोली से,
नेताम आर सी
व्हाट्सएप युग का प्रेम
व्हाट्सएप युग का प्रेम
Shaily
एक ही दिन में पढ़ लोगे
एक ही दिन में पढ़ लोगे
हिमांशु Kulshrestha
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
Vishal babu (vishu)
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
भ्रम
भ्रम
Shyam Sundar Subramanian
Loading...