नियति
लघुकथा
शीर्षक – नियति
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डॉ वर्मा अपनी कोठी से निकलकर मोड़ पर पंहुचे ही थे कि रमिया की झोपड़ी के बाहर भीड़ देख कर उनके पैर अनायास कार के ब्रेक पर चले गये l एक ओर गाड़ी रोकी और पास जाकर भीड़ में से एक से पूछा – “क्या हुआ?”
” कुछ नहीं साहब, वो जुगनू कबाड़ी की घरवाली मर गई l”
” कैसे ?”
“पेट से थी,,, बताते हैं कि खून की कमी थी, शरीर जवाब दे गया ,,,”
जुगनू की घरवाली यानी रमिया प्रायः डॉ वर्मा के घर से रद्दी या कबाड़ का सामान ले जाती थी, ,,, धर्मपत्नी कभी कभी उसे पुराने कपड़े दे देती थी। ऐसे ही एक दिन क्लिनिक पर आयी थी रमिया अपने पति और बच्चों के साथ l कमजोर और मरियल सी दिखने वाली रमिया,,, देख कर तो कोई भी नहीं कह सकता था कि उसकी कोख में बच्चा पल रहा होगा l
“क्या हुआ”
” साहब बहुत कमजोरी लगती है l पेट से हूँ तो कुछ खाया पिया भी हजम नहीं होता”
” कौन सा बच्चा है ? ”
” चौथा है साहब l”
” तीन बच्चों के बाद भी क्या जरूरत थी इसकी l ख़ुद को खाने पहनने के लाले है , कैसे परवरिश करोगी इनकी”
“क्या करूँ साहब? हम कर ही का सकते हैं ?”
” ,, मेरी बात सुनो , अगर इस बच्चे के बाद तुम्हारे पेट में और बच्चा आया तो तुम्हें जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है,,, ढंग से खाओ पीओ,,,, जनने के बाद तुम प्रोटेक्सन ले सकती हो जिससे पेट से होने का खतरा दूर रहेगा”
” ये का होता है साहब”
” तुम अपना या अपने पति का ऑपरेशन करवा सकती हैं l गर्भ निरोधक गोलिया ले सकती हो l तुम्हारा पति निरोध प्रयोग कर सकता है ,,, जिससे तुम्हारा स्वास्थ्य बिलकुल ठीक रहेगा ”
” लेकिन साहब पैसा कहाँ है हमाये पास, जैसे तैसे तो दो जून की रोटी हिल्ला होत है l”
” इसमें पैसा नहीं लगता रमिया, सरकारी अस्पताल में सब फ्री मिलता है”
“ठीक है साहब हम अपने मरद को बतात है l” – कहते हुए जल्दी से रमिया दवाईया लेकर क्लिनिक से निकल गयी l
शायद उसे ये बाते समझ में नहीं आई होंगी या फिर पुरुष प्रधानता वाले देश में उसकी बात को दबा दिया गया होगा, ,,, बहरहाल उसके बाद रमिया नही दिखी l
“राम नाम” के ध्वनि से डॉ वर्मा की तंद्रा टूटी ,,, रमिया की अर्थी जा रही थी,, बच्चे बिलख बिलख कर रो रहे थे – माँ के मरने से या फिर भूख से ……. पता नहीं l
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राघव दुवे