निदा फाज़ली का एक शेर है
निदा फाज़ली का एक शेर है
हर तरफ़ हर जगह बैसुमार “आदमी” ,फिर भी तन्हाइयों का शिकार “आदमी”।
आज के समय का यही वास्तविक सच है । आज के समय में सच्चा दोस्त मिलना बहुत मुश्किल है । हम लोगों की भीड़ में तो घुम रहे है लेकिन अकेलें ही है। हमारा सच्चा दोस्त कोई नहीं है।
सच्चा दोस्त वो होता है जो आप से या आप जिससें बेझिझक बात कर सकते है । लेकिन क्या आप का कोई ऐसा दोस्त है? नहीं होगा । बहुत कम लोग है जिनके सच्चें दोस्त है ।
यहाँ हर इंसान अपनें अपनें मतलब से दोस्ती बना के बैठा है। ऐसा कोई नहीं है जिस्सें आप अपनें मन की बात करे और वो उस तक सीमित हो।
दोस्तीं निस्वार्थ भाव और त्याग मांगती है,समय मांगती है । दोस्तीं तब होती जब दुसरें को लगता है कि आप उसकी दोस्तीं की कद्र करते है ,दोस्त की चिंता करते है।
हमनें कई बार देखा है कि दोस्त को काम होनें पर या उसे समय की जरूरत होनें पर हम तकनीकी बहाना बनाकर टाल देते है और उसें यकीन भी दिला देते है । यहीं यकीन वो हमें भी दिला देता है ।
हमारी अपनी भावनाएं ही हमारे पास लौट कर आ जाती है।
सच्चें दोस्त से आप किसी भी समय कोई भी बात बिना सौचे कर सकते है और वो आपकी बात उस तक ही बिना कोई बात का मजाक बनें उस तक सीमित रहे । उस्सें बात करनें के लिये आपकों समय न देखना पडें । न मिलनें के बहानें न निकालना पडें । अपनी अतरंग से अतरंग बातें भी आप बैझिझक कह दे जिसे वो आपका सच्चा दोस्त है जो आप से कभी नाराज न हो । न कभी आप में मन मुटाव हो। लेकिन आज कल ऐसा कोई नहीं।
हमारे दोस्त बहुत हे लेकिन बात गर सच्चे दोस्त बतानें की आ जाये तो एक नाम भी मुश्किल से निकलेगा।
एक सच्चा दोस्त भी पुरे काफिलें से ज्यादा होता है।
क्या है आप का कोई ऐसा सच्चा दोस्त।