” नित योग करें “
“मुक्त रहेंगे रोग से,नाता जोड़िए योग से,
योग हमारे जीवन में,यौवन का फ़व्वारा है,
खुशहाली भरती झोली में सुबह का नज़ारा है,
शरीर रुपी इस बगिया के हैं हम सब माली,
योग करता है तन -मन दोनों की रखवाली,
बैठे योग की मुद्रा में कुछ पल का तो ध्यान धरे,
धर्मों में ना बाँटे इसको,सब मिलकर ये काम करें,
प्रकृति प्रदत्त स्वास्थ्य है इक सुंदर उपहार,
वक़्त निकाले खुद के खातिर,
खुद को कर ले प्यार,
कर्म योग मानव को अधिक लाभ पहुँचाता है,
थोड़ा सा अभ्यास हमारे जीवन को सुखी बनाता है,
योग का कोई धर्म है ,इस झंझट में मन को ना डालो,
यह विज्ञान है हित में सबके समझो तुम सब अपना लो,
प्रकृति की गोद में बैठो कर लो थोड़ा योग,
प्राणायाम से नष्ट होंगे जीवन के हर रोग,
जीवन से कष्ट मिटेगा तब आनंद मिलेगा,
सकारात्मक ऊर्जा से हृदय पुलकित हो खिलेगा,
योग हेतु नही किसी उपकरण का काम है,
आपके शरीर और मन का ये व्यायाम है,
योग हर बिमारियों का आसान सा उपचार है,
स्वस्थ जीवन के लिए योग ही आधार है “