नित नए संघर्ष करो (मजदूर दिवस)
संघर्ष करो,
नित नए संघर्ष करो,
मत भूलो
लक्ष्य कठिन है,
मत चूको
दुर्भेद्य नहीं है,
यह कैसी सरकार है?
पूंजीपति मालामाल है,
किसान मजदूर तंगहाल है,
सुधि लेता कौन?
नेताओं में होड़ मची है
अपनी सेहत चमकाने की,
कौन करेगा लीडरशिप
गरीबों और बदहालों की?
अब उठो किसानों, मजदूरों
कब तक हम ठगे जाएंगे?
शिक्षा का दीप जलाओ,
तनिक पर्दे के पीछे जाओ,
कर दो पर्दाफाश
खुलेगा पूरा आकाश,
होगा नया सवेरा,
हमारा सपना पूरा।
मौलिक व स्वरचित
©® श्री रमण
बेगूसराय (बिहार)