निज धर्म सदा चलते रहना
जाने कौन डगर को ठहरे कदम हमारे
रस्ते हमारी राह निहारे
आंखों ने कुछ ख्वाब है देखे
हम अभी से क्या ही बतलाये
अभी फूलों का रस्ता है
राह सुहानी लगती है
पर हम को मालूम है
अभी शूलो का आना बाकी है
पथ में पर पथिक चिन्ता कैसी
राह मिलेगी कहीं फूल
तो कहीं शूलों की
चलना निज धर्म सदा चलते रहना
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)