निजीकरण
निजीकरण
नौकरियां तो चढ़ गई, निजीकरण की भेंट|
पेट पर पट्टी बांध कर, भूख-प्यास को मेट||
भूख-प्यास को मेट, ना कोए और चारा|
यक्ष सवाल बन गया, कैसे होगा गुजारा||
विनोद सिल्ला कहे, उठा गेती-टोकरियां|
पढ़-लिख कर दिहाड़ी, खत्म हो गई नौकरियां||
-विनोद सिल्ला©